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शनिवार, १७ डिसेंबर, २०१६

पुरानी कापी

यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली

लाइनों में गिरफ्तार कुछ अल्फाज दिखे, तो कई भूले जज्बात मिले
एक पन्ने पे सल्फ्यूरिक एसिड की पीएच, लिटमस पेपर से नापी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

कछुए से हारनेवाला खरगोश चाँद पे दिखा, सिंड्रेला का खोया जूता मिला
और याद आयी तूफ़ान में खोई हुई लूसी ग्रे, जो किसीको न कदापि मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

कभी धरती बॉल जैसी गोल दिखाई दी, कहीँ ऊँचा एवरेस्ट मिला
उत्तर में टुण्ड्रा, पूरब में त्रिभुज, दक्षिण में सागर तो पश्चिम में तापी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

सजा में पाया रगड़ा मिला, छोटी छोटी बातोंपे किया झगडा मिला
कैसे मुस्कुरा उठा हूँ मैं जो छड़ी के मार की याद हथेली पे छपी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

बाकी दिन मिट्टीसे भरे हाथ पैर, और इतवार को पानी से भरी आँखे मिली  
कुसुमाग्रज के कविता की 'घरी जायला हवे' ये लाइन, बार बार अलापी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

स्याही के दाग लगी कमीज, छेद जड़े जुतोंके तलवे, सब याद है  
लायब्ररी की वो किताब जो खो गयी थी, होस्टल में गद्दे के निचे छिपी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

वो मासूम चेहरा मेरा, जो अब मुझसा दिखते किसी दूरके रिश्तेदार का लगता है,
उस के हर लेश में मेरे यारोंके अक्स हैं, उन अक्सोंके मोतियोंकी सीपी मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

उस कापी के पन्ने पलटते हैं, फड़फड़ाते हैं, फिर बेंचपर बैठने बुलाते हैं
वे मेरे स्कुल के दिन मैं फिर से जी लूँ, कोई हलकी गुंजाईश भी यद्यपि मिली
यादोंसे बंधी एक गठरी खोली तो स्कुल की पुरानी कापी मिली 

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