उस पुराने बरगद की जटाओंकी तरह अब तेरे बाप के चौडे कंधे भी झुके होंगे
एक नजर तुझे देखने की चाह में, माँ की बुढी आँखो में कितने बादल आ रुके होंगे
चिड़ियाँ कई बार मायूस होकर बिना दाना खाये आंगन से उडी होंगी
चौपाई पे सुबह बिछायी चादर पे, युंही कुछ उदास सी सिलवटे पडी होंगी
हर दुसरे रोज पुराने यार किसी बहाने तेरे दरवाजे तक आकर लौटे होंगे
आदतन कई बार खेल में किसी ना किसीने तेरे हिस्से के पत्ते भी बाँटे होंगे
मेथी की सब्जी बनाने से लेकर खाने तक कई बार घर में तेरा जिक्र हुआ होगा
अलमारी मे तेरा कोई पुराना मेडल देख हर बार माँ को कितना फक्र हुआ होगा
होली बीत गयी, गांव का मेला भी गुजर गया, शाखों पे आम पकने लगे होंगे
एक नजर तुझे देखने की चाह में, माँ की बुढी आँखो में कितने बादल आ रुके होंगे
चिड़ियाँ कई बार मायूस होकर बिना दाना खाये आंगन से उडी होंगी
चौपाई पे सुबह बिछायी चादर पे, युंही कुछ उदास सी सिलवटे पडी होंगी
हर दुसरे रोज पुराने यार किसी बहाने तेरे दरवाजे तक आकर लौटे होंगे
आदतन कई बार खेल में किसी ना किसीने तेरे हिस्से के पत्ते भी बाँटे होंगे
मेथी की सब्जी बनाने से लेकर खाने तक कई बार घर में तेरा जिक्र हुआ होगा
अलमारी मे तेरा कोई पुराना मेडल देख हर बार माँ को कितना फक्र हुआ होगा
होली बीत गयी, गांव का मेला भी गुजर गया, शाखों पे आम पकने लगे होंगे
आज भी तुझे पहचानते है जो, नदी के वो छोटे बडे पोखर अब सूखने लगे होंगे
तपी दोपहरी में उठे छोटे बवंडर में कपडे का कोई टुकड़ा तिलमिलाता हुआ उड़ा होगा
अटारी पे जहाँ तुमने छोड़ा था, वो क्रिकेट बैट अभी तक वहीं चुपचाप पड़ा होगा
अटारी पे जहाँ तुमने छोड़ा था, वो क्रिकेट बैट अभी तक वहीं चुपचाप पड़ा होगा
यही सितारे और ऐसेही पहाड़ वहाँ भी होंगे, नर्म ठंडी हवाएं वहाँ भी बहती होंगी
परिंदे वहाँ भी उड़ते होंगे, पत्तियों की सिसकियाँ अपनी दास्तानें वहाँ भी कहती होंगी
परिंदे वहाँ भी उड़ते होंगे, पत्तियों की सिसकियाँ अपनी दास्तानें वहाँ भी कहती होंगी
तेरा वहाँ बड़ा ओहदा होगा, यहाँ कोई सोच भी न सके इतना तेरा सरमाया होगा
बस कुछ दिन के लिए ही लौट आजा, अपनी मिट्टी से कीमती वहाँ तुने क्या कमाया होगा
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा