हा ब्लॉग शोधा

शनिवार, २८ सप्टेंबर, २०१९

तुम्हारे भेजे फूलोंके रंग

मैने तुम्हारे भेजे फुलोंसे कुछ रंग चुने
की तुम्हारी हथेली पे मल दूँ
और फिर तुम्हारे रंगभरे हाथ तबतक थाम लूँ
जबतक मुझमें तुम्हारे सारे एहसासोंके
सुर्ख चिरागदान जगमगा न उठें,
जबतक हमारी भिनी भिनी
मुठ्ठियोंसे वो धुंआ न उमड़े
जो रुहोंकी दो चिनगारियाँ टकरा कर
एक दुसरे में मिट जाने से भभकता है

फिर जब इक सुकून की नर्म महकती हवा
रगों में खून के साथ बहने लगे,
मेरे कांपते होंठ तुम्हारी
पेशानी को छूकर वहीं जम जाएँ
और तुम सांस बनकर मेरे सीने में
भर जाओ इस तरह कि
जब साथ छूटे तो मेरी सांस ही छूट जाए..

तुम्हारे भेजे फूलोंके रंग
मेरी आंखोंसे बहुत अंदर तक रिसकर
देखो कितने सुहाने बन जाते हैं..!!

बुधवार, २५ सप्टेंबर, २०१९

धूप की तितलियाँ उड़ जाएं

इक हयात में जितना वाज़िब था शायद हमें मिल गया है,
अब उम्मीद के धूप की तितलियाँ यां से उड़ जाएं
या पत्तोंके सुहाने लिबास दरख्तोंसे उतर जाएं
आवाजें कुछ लंबी खामोशियों में गिर जाएं
और रूह से खुशियों के सारे मानी खो जाएं
आसमाओं के साये दिल की गीली धरती में दफ़्न हो
उम्मीदों के सैलाब गुमनामी की मुट्ठियों में जब्त हों
तेरी हथेली से मेहंदी जैसे चुपचाप अलविदा होती है,
वैसे मेरा वजूद सारे एहसासों से मिट जाए... 

जो कभी सोचा भी नहीं था, वो हासिल किया है,
इक हयात में जितना वाज़िब था शायद हमें मिल गया है..!!
अब धूप की तितलियाँ यां से उड़ जाएं...