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शनिवार, २८ सप्टेंबर, २०१९

तुम्हारे भेजे फूलोंके रंग

मैने तुम्हारे भेजे फुलोंसे कुछ रंग चुने
की तुम्हारी हथेली पे मल दूँ
और फिर तुम्हारे रंगभरे हाथ तबतक थाम लूँ
जबतक मुझमें तुम्हारे सारे एहसासोंके
सुर्ख चिरागदान जगमगा न उठें,
जबतक हमारी भिनी भिनी
मुठ्ठियोंसे वो धुंआ न उमड़े
जो रुहोंकी दो चिनगारियाँ टकरा कर
एक दुसरे में मिट जाने से भभकता है

फिर जब इक सुकून की नर्म महकती हवा
रगों में खून के साथ बहने लगे,
मेरे कांपते होंठ तुम्हारी
पेशानी को छूकर वहीं जम जाएँ
और तुम सांस बनकर मेरे सीने में
भर जाओ इस तरह कि
जब साथ छूटे तो मेरी सांस ही छूट जाए..

तुम्हारे भेजे फूलोंके रंग
मेरी आंखोंसे बहुत अंदर तक रिसकर
देखो कितने सुहाने बन जाते हैं..!!

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