उनकी निगाहों में मैने कुछ रूहानी चाहतोंके भंवर देखें हैं
उन्होने जहाँ जहाँ छुआ था, मैने वहाँ तितली के पर देखें हैं
मुझसे नही बोला जायेगा जो मैं बोलना बहुत चाहता हूं
मैंने नहीं कोई लफ्ज अपने एहसासों से बेहतर देखें हैं
हमने सुन लिया, जो उन खामोश नजरों ने कह दिया था
उनकी धुंदली सी मुस्कान में मैंने उम्मीदोंके घर देखें हैं
चैन-ओ-सुकून जो मेरे जहाँ से कब के रुख़्सत हो गए थे
मैंने मेरे महबूब के चमन में बसे उनके आबाद शहर देखें हैं
वे क्या जानें कितनी सराबोर थी उनके विदा होने की घडी
उन्होंने कहाँ पलट के मेरी आँखों में उतरे समंदर देखें हैं
उन्होने जहाँ जहाँ छुआ था, मैने वहाँ तितली के पर देखें हैं
मुझसे नही बोला जायेगा जो मैं बोलना बहुत चाहता हूं
मैंने नहीं कोई लफ्ज अपने एहसासों से बेहतर देखें हैं
हमने सुन लिया, जो उन खामोश नजरों ने कह दिया था
उनकी धुंदली सी मुस्कान में मैंने उम्मीदोंके घर देखें हैं
मैंने मेरे महबूब के चमन में बसे उनके आबाद शहर देखें हैं
उनके साथ बीते चंद पल मेरी उम्र के सबसे मुबारक लम्हे थे
वरना हमने तो जिंदगी भर बस उदासियोंके शाम-ओ-सहर देखें हैं
वरना हमने तो जिंदगी भर बस उदासियोंके शाम-ओ-सहर देखें हैं
वे क्या जानें कितनी सराबोर थी उनके विदा होने की घडी
उन्होंने कहाँ पलट के मेरी आँखों में उतरे समंदर देखें हैं
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