किसने इतना बड़ा मोती ढूंढकर बनाया होगा चाँद
कौन मेरे इतने करीब खींचकर लाया होगा चाँद
इस काले आसमान के इनबॉक्स में जाने कहाँ से
ब्लॅक अँड व्हाईट फोटो बनके आया होगा चाँद
उनके छत पे भी थोडी चाँदनी उबलकर गिरी होगी
इक प्याली दूध में जो आज नहाने गया होगा चाँद
मशरीक से अपने फलक पे आते हुए देखा था मैने
किसीने फुंक मारकर मेरी तरफ उडाया होगा चाँद
रात उसे आँखो में भरकर पलकें बंद की थीं मैने
कौन मेरे इतने करीब खींचकर लाया होगा चाँद
इस काले आसमान के इनबॉक्स में जाने कहाँ से
ब्लॅक अँड व्हाईट फोटो बनके आया होगा चाँद
उनके छत पे भी थोडी चाँदनी उबलकर गिरी होगी
इक प्याली दूध में जो आज नहाने गया होगा चाँद
मशरीक से अपने फलक पे आते हुए देखा था मैने
किसीने फुंक मारकर मेरी तरफ उडाया होगा चाँद
रात उसे आँखो में भरकर पलकें बंद की थीं मैने
पता नही सुबह किस बूँद संग बह गया होगा चांँद
मै जानता हूँ वो किसी और की छत का रौशनदान है
फिर भी क्यूँ मेरे पूरे जहाँ पे इतना छाया होगा चाँद
फिर भी क्यूँ मेरे पूरे जहाँ पे इतना छाया होगा चाँद
..
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा