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गुरुवार, ३१ डिसेंबर, २०२०

2020


एक साल ये कुछ ऐसे गुजर गया
कोई बोझ जैसे सीने से उतर गया

खिलखलाती मुस्कानों को कैद कर के
आंँखो में उदासी का पानी भर गया

सबको जीने मरने की जंग में उतारकर
जाने कितनी जिंदगियों को कुतर गया

मुखौटे पहनकर जीनेवाले चेहरों पर
ये मजबुरियोंके और नकाब धर गया

भूख जलते पांवों से रास्तोंपे चलती रही
जाने कौन घर गया और कौन मर गया

चलती फिरती दुनिया को लगाम लगाई
सारा जहाँ जैसे बेजान सा ठहर गया

एक ख्वाब मेरी आंखो में कत्ल हुआ
दिल टूटकर चारो तरफ बिखर गया

मार्च मे आया था एक बुरा सपना बनकर
चलो उसे खत्म करके ही दिसम्बर गया

एक साल ये कुछ ऐसे गुजर गया
कोई बोझ जैसे सीने से उतर गया

 

 


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रविवार, २० डिसेंबर, २०२०

चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी



मै कहीं दूर किसी पहाड की चोटी पे
कुछ हसरतें बो रहा था एक बंजर सी मिट्टी पे
कुछ सर्द सी सिसकियाँ थी, जो मैने दिल की आग में तापी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी

मैने उम्मीदों के अलाव में उसे नही जलाया
मैने उसे कोई वास्ता देकर नाम से नही बुलाया
मैने कभी उससे अपने रिश्ते की गहराई नही नापी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी

ख्वाबों के परिंदे पलको से उतार दिये
कुछ संभाले हुए लम्हें थे, मैंने गुजार दिये
खिलखिलाते सिलसिले पे रख दी, इक लंबी सी चुप्पी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी



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