मै कहीं दूर किसी पहाड की चोटी पे
कुछ हसरतें बो रहा था एक बंजर सी मिट्टी पे
कुछ सर्द सी सिसकियाँ थी, जो मैने दिल की आग में तापी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी
मैने उम्मीदों के अलाव में उसे नही जलाया
मैने उसे कोई वास्ता देकर नाम से नही बुलाया
मैने कभी उससे अपने रिश्ते की गहराई नही नापी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी
ख्वाबों के परिंदे पलको से उतार दिये
कुछ संभाले हुए लम्हें थे, मैंने गुजार दिये
खिलखिलाते सिलसिले पे रख दी, इक लंबी सी चुप्पी
चिकू हॅप्पी तो मै हॅप्पी
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