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सोमवार, १९ एप्रिल, २०२१

गलत बात

एक मुठ्ठीभरसा दिल है, जिसकी मुठ्ठी में मेरी कायनात है,
मै अपने अंधेरे छाँट रहा हूंँ, तेरे उजालों की सौगात है।

कहीं कोई शोर छूट रहा है, कहीं इक खामोशी टूट रही है,
कुछ वफा के ऐब हैं मुझमें, कुछ इबादत के इल्जामात हैं।

सांँझ की बोझल आंँखों में, सिमटीसी मंद रौशनी है,
इक आधा बुझा दिन है, इक आधीसी जली रात है।

नही है उसे चाहना लेकीन, चाहत पे नही इख्तियार मेरा, 
उसके खयाल पे खिलती है धूप, सोचूँ तो होती बरसात है।

उम्मीद करोगे टूट जायेगी, खुशी चाहोगे तो रुठ जायेगी,
मोहब्बत वो बला है जिसमे, अपनी शह ही अपनी मात है।

छुपाये रखा है उसे, खुद उसीसे छुपाकर दिल में मगर
खुशबू मेरे एहसासों की अब, डाल डाल है पात पात है।

अगरचे सच्ची है मेरी चाहत, अगरचे पाक मेरे जज्बात हैं,
खूबसुरत है मेरा इश्क मगर, गलत बात तो गलत बात है।




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