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बुधवार, १९ मे, २०२१

पास रहती है

टुटे दिल मे भी इक दिवानी सी आस रहती है
दम घुटे रिश्तों में भी कहीं थोडी सांस रहती है

यारों ये मुहब्बत इक ऐसी अजीब बिमारी है 
जो आम होके भी हर किसी की खास रहती है

युँही नही महका करते ये रंगीं बदन फुलों के
उन्हे भी किसी दीदावर की तलाश रहती है

बहती हुई नदी को देख कर हैरान होता हूंँ मै
भरी होके भी उसे समंदर की प्यास रहती है

भूख नही मिटती आजकल शमशान घाट की
हर वक्त वहाँ भुनती हुई कोई लाश रहती है

वो मोड जहाँ से आगे घर दिखाई नही देता
लौटते वक्त वहाँ की सडक उदास रहती है

कौनसे युनिट मे नापोगे इस फासले का दायरा?
वो दूर है मुझसे पर दिल के बहुत पास रहती है



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