आपकी नई तसवीर नही है पास मेरे
और आपने कोई डीपी भी नही लगाई है
कितने रोज हुए खामोशी में बहते हुए
चॅटबॉक्स में इक अजीब सी तनहाई है
कितनी मायूसी से बीत गया वो स्टेटस
आपकी नजर से जो नजर मिला न पाया
फूट फूट रोई वो हर नज्म मेरे सामने
जिसे मै आपकी आवाज दिला न पाया
अपनी वोही पोस्ट हमें अच्छी लगती है
जिसे आपके लाईक का तोहफा मिले
जितनी बार नोटीफिकेशन में आपका नाम हो
लगता है हम आपसे उतनी दफा मिले
बातचित नही करनी तो ना सही
खैरियत पुछने का सिलसिला तो रहे
आप नहीं तो मेरे स्टेटस में आपके मानिंद
कभी दीप्ती और कभी उर्मिला तो रहें
..
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