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शुक्रवार, १२ जुलै, २०१९

व्हाट्सएप

ये जो तुम्हारी उँगलियों को छूकर
मुझसे मिलने आतें हैं चंद हर्फ़
कुछ बेहद हसीन एहसास छाप देतें हैं दिल पे, जानती हो?

तुम्हारे नाम के सामने जो
एक हरी सी बूँद दिखाई देती है नोटिफिकेशन की
कितनी खुशियां पिरोए होती है, जानती हो?

पढ़नेवालों की लिस्ट में जबतक
तेरा नाम नहीं दिखता,
अधूरा सा रहता है मेरा स्टेटस,
उदास रहती हैं मेरी सदाएँ
जबतक तेरी आंखोंसे उतरकर
वो दो ब्लू टिक्स उनसे लिपट नहीं जातीं,

तुझे कुछ लिखना आसान नहीं है
जज्बातोंका उमड़ता समंदर
बड़े एहतियात से छानना पड़ता है,
कोई कतरा जिससे गलती से भी
छलक पड़ें मेरी चाहतें
मै भेजने से कितना कतराता हूँ, जानती हो?

वो दिलवाली स्मायली
कितनी दफा टाइप कर के
मिटा दी है तुम्हे भेजने से पहले, जानती हो?

इक तेरी मिनटभर की आवाज सुनने के लिए
भीड़ में तेरी धूंधलीसी हसती तसवीर देखने के लिए
मिन्नतों के कितने नपेतुले इंतेजामात करने पड़ते हैं, जानती हो?

चलो ये नज़्म अब यहींपर
ऐसी ही अधूरी सी रह जाएगी
जैसी अपनी कहानी भी अधूरी रहेगी, जानती तो हो..!!




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