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शुक्रवार, १२ जुलै, २०१९

कायनात

अकेला होता हूँ मगर अब मै
कभी तनहा नहीं होता
तू हमेशा मेरे साथ होती है

मेरे लब चुप सही मगर
मै खामोश नहीं होता
तेरे साथ हरदम बात होती है

अब बुझती हुई शाम
मुझे उदास नहीं करती
जो उसके बाद सपनों की रात होती है

कागजों में कैद रहती थी
मेरी हर एक नज़्म
अब तुम्हारे आवाजों की सौगात होती है

तुम बिन मेरी दुनिया
सुनी सुनी सी लगती है
तेरे आगोश में ही मेरी कायनात होती है



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