तेरी रुसवाई में खुद को टूटता बिखरता देखूं
हर टुकड़े में और फिर तेरा ही अक्स निखरता देखूं
इक तेरे ही इर्दगिर्द अपने ख्वाब की तामीर बनती देखूं
तेरी यादोंको कभी मुझसे रूठती, कभी बेवजह मनती देखूं
थोड़ा टहलने निकलूं तो सारे जहाँ में बेशुमार आदमी देखूं
हर दिलकश भीड़ में भी मै, मगर इक तेरी ही कमी देखूं
सूरज को उफ़क पे रोक लूँ और एक बादल तेरे शहर पे बरसता देखूं
इंद्रधनुष का इंतजाम करूँ और उसकी तस्वीर के लिए खुदको तरसता देखूं
तेरी खामोशी से अपनी रात जलाऊँ, सुबह आँखों में गीला कोहरा देखूं
थोड़ी सी भी गर उदास हो तू, तो अपने ही दिल में एक घाव गहरा देखूं
मै तो बस इक नाचीज हूँ, क्यूँ हर शब् मै तेरा ख्वाब देखूं
इक लौ जलाऊँ दिल की, और धु धु कर जलता आफताब देखूं
तेरे कदमों पे सजदे करूँ, एक तुझ ही में अपना खुदा देखूं
बेखुद हो तुझमें उतर गया हूँ, फिर भी खुद को तुझसे जुदा देखूं
...
हर टुकड़े में और फिर तेरा ही अक्स निखरता देखूं
इक तेरे ही इर्दगिर्द अपने ख्वाब की तामीर बनती देखूं
तेरी यादोंको कभी मुझसे रूठती, कभी बेवजह मनती देखूं
थोड़ा टहलने निकलूं तो सारे जहाँ में बेशुमार आदमी देखूं
हर दिलकश भीड़ में भी मै, मगर इक तेरी ही कमी देखूं
सूरज को उफ़क पे रोक लूँ और एक बादल तेरे शहर पे बरसता देखूं
इंद्रधनुष का इंतजाम करूँ और उसकी तस्वीर के लिए खुदको तरसता देखूं
तेरी खामोशी से अपनी रात जलाऊँ, सुबह आँखों में गीला कोहरा देखूं
थोड़ी सी भी गर उदास हो तू, तो अपने ही दिल में एक घाव गहरा देखूं
मै तो बस इक नाचीज हूँ, क्यूँ हर शब् मै तेरा ख्वाब देखूं
इक लौ जलाऊँ दिल की, और धु धु कर जलता आफताब देखूं
तेरे कदमों पे सजदे करूँ, एक तुझ ही में अपना खुदा देखूं
बेखुद हो तुझमें उतर गया हूँ, फिर भी खुद को तुझसे जुदा देखूं
...
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा